सफलता की सीढ़ी

एक लड़का गणित में कमजोर था। साथी अक्सर उसको इस कमजोरी का मजाक उड़ाते थे। इससे वह दुखी रहता था। एक दिन वह संध्या समय गणित का प्रश्न हल करने बैठा था। प्रश्न था कि हाल ही नहीं हो रहा था। अचानक एक विचार उसके मन में आया। उसने प्राण कर लिया कि अब वह तब तक नहीं उठेगा, जब तक प्रश्न का हल न निकल आए। इस सच्चे निश्चय से उसमें एक नयी ऊर्जा का संचार हुआ। 

कुछ समय बाद प्रश्न का हल निकल आया। इसके बाद उसने कभी मुड़कर नहीं देखा। संसार में ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जिनसे पता चलता है कि जिनमें शक्ति और उत्साह होता है; बड़ी-से-बड़ी बाधाएँ उनके सामने बौनी हो जाती हैं और वे सफलता के शिखर पर जा पहुँचते हैं। श्रीराम जब लंका पर चढ़ाई करने चले तो समुद्र उनके सामने बाधा बनकर खड़ा हो गया। Hindi Story for Kids

उनके बहुत से सेनापति हतोत्साहित होने लगे। श्रीराम ने भी समुद्र से राह माँगने को सोचा। तभी लक्ष्मण ने ललकारा- "अनुनय से कुछ होने वाला नहीं। समुद्र पर पुल बाधिए और लका जीतिए।" यही हुआ। पुल बाँधा गया। और वानर सेना लंका जा पहुँची। Hindi Story for Kids

नेपोलियन जब अपनी विजय यात्रा पर निकला तो आल्प्स पहाड़ ने राह रोकी। नेपोलियन ने कहा- "यदि आल्प्स हमारी राह रोकता है तो आल्प्स नहीं रहेगा।" आल्प्स काटकर सुरंग बनाई गई और सेना उस पार हुई।

पंजाब में जब महाराजा रणजीत सिंह राज्य कर रहे थे, तब लुटेरों का एक दल घुस आया। उसने थोड़े ही दिनों में उत्तरी-पश्चिमी पंजाब में हलचल मचा दी। नागरिकों को लूटा, स्त्रियों से बदसलूकी की, बच्चों को पकड़ा। रणजीत सिंह को यह अपमान असहय प्रतीत हुआ। 

लुटेरों को पकड़ने के लिए उन्होंने सेना भेजी। पर रास्ते में अटक नदी आ गई। सेना ठिठक गई किंतु रणजीत सिंह पराजय मानने को तैयार न थे। सेना को ठिठकता हुआ देखकर उन्होंने अपना घोड़ा अटक में उतार दिया। दूसरे सेनानायकों ने भी ऐसा ही किया और बात की बात में सेना गरजती- लरजती अटक नदी के पार उतर गई।

जीवन में कुछ कर गुजरने के लिए उत्साह, हिम्मत बहुत जरूरी है। जिन लोगों में इन गुणों का अभाव होता है, वे अपने मनसूबे लिए रह जाते हैं। वे संकल्प तो करते हैं, किंतु उस संकल्प में दृढ़ता नहीं होती। सुस्ती और आलस्य उनको घेरे रहते हैं। इनको दूर करने की एक ही दवा है- उत्साह। इस दवा के सेवन से आलस्य जड़ से नष्ट हो जाता है। 

भीष्म, अर्जुन और शिवाजी जैसे वीर भी जीवन संघर्ष में पड़े। ऐसा लगा कि जीवन-क्षेत्र का पासा ही पलट जाएगा। पर उत्साह और धैर्य से उन्होंने सारी कठिनाइयों को पार किया। अर्जुन ने कौरवों की विशाल सेना को तहस नहस कर दिया और मुगल बादशाह औरंगजेब की महती सेना शिवाजी पर काबू न पा सकी। उत्साह सफलता का मूलमंत्र है। इसके आगे बाधाएँ मोम बन जाती है। 

उत्साह न हो तो प्रतिभाशाली व्यक्ति भी कुछ नहीं कर सकता। दूसरी ओर उत्साही व्यक्ति कठिनाइयों के बीहड़ में भी अपनी राह ढूँढ लेता है। हमारे मन में अनेक इच्छाएँ होती है। हम उन्हें पूरा करने की कोशिश करते हैं। लेकिन तत्काल दूसरी इच्छा प्रबल हो जाती है और हम उसकी ओर मुड़ जाते हैं। ऐसी अवस्था में कोई इच्छा पूरी नहीं होती। 

असफलताएँ बोझ बनजाती हैं। क्यों? क्योंकि हम एक सुनिश्चित लक्ष्य की ओर पूरी हिम्मत के साथ नहीं बढ़ते लक्ष्य तक पहुँचने के लिए जरूरी है; हिम्मत से जुट जाना। हिम्मत से जुट जाने पर विभिन्न इच्छाओं का बोझ कम हो जाता है, पूरा ध्यान लक्ष्य पर केंद्रित हो जाता है, राह आसान हो जाती है।

असफलता से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि इसके बाद ही सफलता का क्षेत्र शुरू होता है। इसलिए, कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। पता है, एक राजा अपने दुश्मन से परास्त होकर भागा भागा चल रहा था। एक जगह उसने देखा कि चीटियाँ एक खंभे पर चढ़ने की कोशिश कर रही थीं। खभा चिकना था। वे चढ़ती, फिसलती किंतु चढ़ने का निरंतर प्रयास करतों और अंत में सफल हो जाती। राजा की आंखें खुल गई। उसने प्रयास से सेना खड़ी की और दुश्मन पर विजय प्राप्त की। जो चीटियाँ करती है, जो राजा ने किया, वह हमें भी कर सकते हैं। इसलिए, हिम्मत न हारो, सफलता स्वागत के लिए खड़ी है।

शिक्षण-संकेत

सफलता पाने के लिए कुछ गुण जरूरी हैं, जिनमें साहस या उद्यम एक है।
साहस में संकल्प शक्ति आवश्यक है।
साहस एवं संकल्प शक्ति का विकास।

safalta ki sidhi | Ladder of success